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  आँखों में सच्चाई देखी है कभी? जैसी एक माँ के प्रेम में होती है, शक्ति और सौम्यता का अद्भुत तालमेल! जो तैरती रहती है आँखों में उनकी, निरंतर, बिना ओझल हुए जिसकी लालिमा का सौंदर्य असाधारण है, उसी की खोज में निकली हूँ मैं। ज्ञात है मुझे कि इस यात्रा का आदि धूमिल था और अंत हो ही ना। उस सच्चाई की संरचना में मातृत्व है, लेकिन क्या वही एकमात्र सृजन स्रोत है? शायद नहीं या फिर शायद हाँ। यात्रा जारी है....                             -शिखा गुलिया