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छींटे

उधेड़ बुन खत्म हुई । लंबे से सन्नाटे के बाद, आज एक आवाज़ सुनाई दी। लगा जैसे सिसकी थी उसकी गून्ज पलकों को नम कर गई मन हल्का हो गया । रंग चढ़ता है, उतर भी जाता है। कभी कभी कुछ छींट...